Wednesday, December 2, 2015

बीती सुबह

कुछ बनने की चाह में मौसम यूँ गुजर गए
हम हम रह गए और ज़िन्दगी फ़ना हो गई |
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ना सुबह की लालिमा देखी, ना रात की चांदनी
मैं जब जागा तो तपती धूप से मेरा सामना हो गया |
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हर पल में जीना चाहा हर पल में ना जिया
सही और गलत की बंदिशों से जूझते वो लम्हा खो गया |
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दौलत की चमक आज घर के कोने कोने में हैं
लोग कहते है मुझे मेरी मंज़िल मिल गयी
पर वो ये नहीं जानते की मेरा दिल खो गया |
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