Saturday, August 9, 2008

Yarron da Tashan


This one is dedicated to those special few who are away from me but not apart:
मैं फिर अपने यारो के साथ जीना चाहता हूँ
मस्ती के जाम पीना चाहता हूँ 
जो मेरी शरारतों पर मुस्कुरा दिया करते थे 
चोट लगती थी मुझे तो मेरा दर्द चुरा लिया करते थे 
दुःख में बैठकर साथ बातें बनाते थे
ख़ुशी में झूमते नाचते गाते थे 
रात को बिजली गुल हो जाती थी, तो हवा कर सबको सुलाते थे 
नींद नहीं आती थी तो फ़ोन करके सबको सताते थे
डाँट पड़ती थी किसी को घर पर तो चुप चाप से खिसक जाते थे
बाहर कोई हाथ भी लगा दे तो उसकी वाट लगाते थे
आँसूं देख के इन आँखों में दौड़ के गले लगते थे 
ऐ खुदा उन यारो से फिर मिला दे 
जो ज़िन्दगी के हर लम्हे को खूबसूरत बनाते थे

1 comment:

Anonymous said...

Sach mai yaar!! Kya bolu?